𝐘𝐨𝐮𝐫 𝐇𝐨𝐫𝐦𝐨𝐧𝐞𝐬, 𝐘𝐨𝐮𝐫 𝐇𝐞𝐚𝐥𝐭𝐡 (हॉर्मोन इंबैलेंस और आपका हेल्थ)

 

जानें, हॉर्मोन इंबैंलेंस आपके हेल्थ को कैसे करता है इफेक्ट

 

हॉर्मोन इंबैलेंस या हॉर्मोन असंतुलन टर्म तो आपने सुना ही होगा। लेकिन शायद आपको पता नहीं कि हॉर्मोन इंबैलेंस होने पर शरीर को किन-किन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इसके कारण आपको बदहजमी, पेट फूलने की समस्या, बार-बार मुँहासे या एक्ने आने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है तो कभी अनियमित मासिक धर्म, अनिद्रा जैसे समस्याओं का। तो चलिए  इस लेख में आपको चंद शब्दों में यह समझाने की कोशिश करते हैं कि कैसे आप इन समस्याओं को समझ पाएंगे और इनको नजरअंदाज करने की गलती नहीं करेंगे।

1. मुँहासे या एक्ने की समस्या (Acne)

पीरियड के पहले एक्ने या मुँहासा निकलना आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एंड्रोजेन हॉर्मोन (Androgen) का लेवल हाई होने के कारण उसका असर स्किन सेल्स और हेयर फॉलिकल्स पर पड़ता है। इनके कारण त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, जिनके कारण एक्ने निकलने के कारण चेहरे की सौन्दर्यता पर दाग लग जाता है।

2. पीरियड्स या मासिक धर्मचक्र (Irregular Cycles)

वैसे तो ज्यादातर महिलाओं का पीरियड्स 21 से 28 दिनों में आता है। यदि हर महीने समय पर पीरियड्स नहीं आता है या कुछ महीनें छुट जाते हैं तो हो सकता है इसका जिम्मेदार आपके हॉर्मोन्स (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) हैं। अगर आपकी उम्र 40-50 के बीच में है तो पेरीमेनोपॉज (मेनोपॉज के पहले) वजह बन सकती है। इसलिए हॉर्मोन असंतुलन मासिक धर्मचक्र के अनियमित होने का कारण है या कुछ और, डॉक्टर से बात करें एवं सही कारण का पता समय रहते लगाएं।

3. अनिद्रा (Insomnia)

क्या आप अपनी रातें आँखों ही आँखों में गुजार देती हैंँ? कहीं इसके पीछे हॉर्मोन का हाथ तो नहीं। असल में प्रोजेस्टेरॉन नाम का एक हॉर्मोन होता है जो ओवरी से निकलता है, अगर इसका लेवल लो हो जाए तो अनिद्रा का कारण बन जाता है। 

4. याददाश्त

कहीं आप भी अपनी चीज एक जगह रखकर दूसरी जगह ढूँढती हैं? या किसी का नाम याद करने की कोशिश करने पर याद नहीं आता। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन में असंतुलन होने के कारण अक्सर चीजें भूलने लगते हैं। यहाँ तक पेरिमेनोपॉज या मेनोपॉज के दौरान ब्रेन केमिकल पर एस्ट्रोजेन के प्रभाव के कारण भी कभी-कभी ऐसा होता है। इसके अलावा यह दूसरे हॉर्मोन के वजह से भी हो सकता है, जैसे- थायराइड डिजीज। इसलिए बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेना सेफ होता है।  

5. पेट संबंधी समस्या (Indigestion)

अगर आपको पेट संबंधी परेशानियों, जैसे दस्त, पेट फूलना, बदहजमी, उल्टी आदि का सामना करना पड़ता है तो हो सकता है, इसके पीछे  हॉर्मोन इंबैलेंस का हाथ हो। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का ज्यादा या कम होने पर इस परेशानी से जुझना पड़ सकता है।

6. अवसाद (डिप्रेशन, Depression)

अनुसंधानों द्वारा यह पता चला है कि हॉर्मोन के स्तर में जल्दी-जल्दी बदलाव होने पर डिप्रेशन या बार-बार मूड चेंज होने की समस्या होती है। असल में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन ब्रेन का केमिकल सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन को प्रभावित करता है। इसलिए समय रहते अपने परेशानी को समझे और सही इलाज करवाएं।

7. थकान (Tiredness)

क्या आपको वक्त-बेवक्त थकान और नींद जैसा महसूस होता है? थकान, हॉर्मोन इंबैंलेंस के लक्षणों में से एक है। इसके अलावा प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन ज्यादा हो जाने पर भी नींद जैसा अनुभव होता है। यहाँ तक थायराइड हॉर्मोन भी इस परेशानी का कारण बन सकता है।

8. भूख लगना और वजन बढ़ना (Weight Gain)

भूख है कि हर आधे घंटे पर लग जा रही है तो फिर संभल जाइए। इसका जिम्मेदार एस्ट्रोजेन हॉर्मोन हो सकता है। इस हॉर्मोन के लो होने पर भूख ज्यादा लगती है, और फिर क्या, वजन बढ़ने लगता है। अपने वजन को बढ़ने से रोकना चाहती हैं तो देर मत करें डॉक्टर दिखाएं।

9. वजाइनल ड्राइनेस (Vaginal Dryness)

महिलाओं के लिए वजाइनल ड्राइनेस बहुत बड़ी समस्या होती है। इस समस्या के बारे में खुलकर किसी को बता भी नहीं पाती हैं। शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का लेवल कम हो जाने पर वजाइनल फ्लूइड कम निकलना और वजाइना के कसाव में भी कमी, ये दोनों परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

10. सेक्स की इच्छा में कमी (Reduced Sex Drive)

कहीं आप में सेक्स करने की इच्छा खोती जा रही है? और आपकी यह अनिच्छा आपके लव लाइफ को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है तो, इसको नजरअंदाज न करें। टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाने पर इस प्रकार की समस्या से जुझना पड़ सकता है। 

अब तक के चर्चा से आप समझ ही गई होंगी कि हॉर्मोन इंबैलेंस आपके जिंदगी को कितने परेशानियों में डाल सकता है। इसलिए हॉर्मोन इंबैंलेंस के लक्षणों को पहचानें और समय रहते इलाज करवाएं। सही समय सही इलाज, जिंदगी में खुशियाँ भर देगा बेहिसाब। 

To watch video click HORMONAL IMBALANCE IN WOMEN

 अनुवादक: डॉ. मौसमी दत्ता

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